हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के धार्मिक मदरसो के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने तफ़सीर तसनीम के अनावरण समारोह मे कहा कि यह इस्लामी विज्ञान का एक व्यापक विश्वकोश है, जो हौज़ा इल्मिया के पारंपरिक अनुसंधान का एक महान कार्य है। तफ्सीर तसनीम में तर्कसंगत और पारंपरिक तरीकों को एक साथ जोड़ा गया है और यह तफ्सीर क्रमिक होने के साथ-साथ गहरे विषयों और समकालीन मुद्दों को भी शामिल करती है।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा कि हौज़ा इल्मिया क़ुम में कुरआन की तफ्सीर के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि तफ्सीर के औपचारिक और अनौपचारिक पाठ्यक्रम, नए कुरआनी विषयों और उनकी चर्चा, कुरआनी संस्थानों की स्थापना, अनुसंधान लेख, पुस्तकों, पत्रिकाओं और सॉफ्टवेयर के निर्माण में हौज़ा इल्मिया के उल्लेखनीय कार्य सामने आए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि क़ुम और नजफ़ में मराज ए इकराम की ओर से महान तफ्सीरों की रचना, इस्लामी क्रांति के फवाद का परिणाम है। आयतुल्लाह अराफ़ी ने कहा कि हौज़ा इल्मिया ने कुरआन की तफ्सीर के क्षेत्र में बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी यह यात्रा शुरुआती चरण में है।
उन्होंने रूहानी नेता के हवाले से कहा कि हौज़ा को इस रास्ते में और बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है और कुरआन की तफ्सीर को सभी वैज्ञानिक क्षेत्रों में केंद्रीय स्थिति प्राप्त करनी चाहिए।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने विषयगत तफ्सीर की विशेष रूप पर जोर देते हुए कहा कि तफ्सीर के क्षेत्र में गहराई और विस्तार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि तफ्सीर के सिद्धांतों और तरीकों को और मजबूत बनाने की आवश्यकता है, जैसे कि फ़िक़्ह के सिद्धांतों ने हौज़ा को प्रगति दिलाई, उसी तरह तफ्सीर के सिद्धांतों को भी बढ़ावा देना होगा।
उन्होंने कहा कि तफ्सीर तसनीम हौज़ा इल्मिया की एक महान खोज है जिसने कई पीढ़ियों को शिक्षित किया है और इसका प्रभाव समाज, विश्वविद्यालय और मीडिया में स्पष्ट है। यह तफ्सीर अल-मिज़ान की निरंतरता में एक महान आंदोलन का प्रतिनिधित्व करती है।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा कि कुरआन के संबंध में जो काम हो रहे हैं वे सभी इमाम खोमैनी (रह.), रूहानी नेता और مراجع की सोच के ऋणी हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी प्रगतियाँ इस्लामी क्रांति के शहीदों, रक्षा युद्ध के शहीदों और प्रतिरोध के शहीदों की बदौलत हैं।
उन्होंने आयतुल्लाह जावादी आमली के नैतिकता के पाठों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके पाठों में भाग लेना एक अनोखा अनुभव था। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन हौज़ा इल्मिया की ओर से आयतुल्लाह जावादी आमली और तफ्सीर तसनीम के सभी सहायकों के लिए एक श्रद्धांजलि है।
समारोह के अंत में, आयतुल्लाह अराफ़ी ने अल्लाह और इमाम महदी (अज) के सामने शुक्राने की नमाज अदा करते हुए कहा कि ये सभी प्रगतियाँ उनकी कृपा का परिणाम हैं।
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